Best Sarat Chandra novels in Hindi
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Sharat Chandra Chattopadhyay is one of the most prominent novelist of India, just as Munshi Premchand is called Hindi Katha Samraat, Sharat Chandra is called Bengali Katha Samrat.
It has been the specialty of both writers that both of them have accurately described the evils prevailing in the society, rural life, their struggles and evil practices. Some of most notable novels written by Sharat Chandra are Devdas, Charitraheen, Shrikant, Viraj Bahu, Vilasi etc.
शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय भारत के सर्वाधिक प्रसिद्द उपन्यासकारों में से एक हैं , जिस तरह मुंशी प्रेमचंद को हिंदी कथा सम्राट कहा जाता है वैसे ही शरतचंद्र को बंगाली भाषा का कथा सम्राट कहा जाता है | शरत चंद की चरित्रहीन , देवदास , श्रीकांत, विराज बहू , विलासी आदि रचनाएं आज भी लोकप्रिय हैं |
दोनों लेखकों की ये विशेषता रही है की दोनों ने तत्कालीन समाज में व्याप्त बुराइयों , ग्रामीण जीवन , उनका संघर्ष और कुप्रथाओं का सटीक वर्णन अपनी रचनाओं में किया है |
शरतचंद्र की रचनाओं में तत्कालीन बंगाल क्षेत्र के लोगों के सामाजिक जीवन की झलक मिलती है। शरतचंद्र भारत के सार्वकालिक सर्वाधिक लोकप्रिय तथा सर्वाधिक अनूदित लेखक हैं|
देवदास
देवदास शरत चंद की सबसे ज्यादा लोकप्रिय कहानियों में से एक है, देवदास में आधारित विभिन्न भाषाओँ में फिल्मे भी बन चुकी हैं | शरत चन्द्र की लेखनी में आम आदमी के जीवन से जुड़ी समस्याओं को लिखने का अद्भुत जादू दिखता है |
शरत् बाबू के उपन्यासों में जिस रचना को सब से अधिक लोकप्रियता मिली है वह है देवदास। तालसोनापुर गाँव के देवदास और पार्वती बालपन से अभिन्न स्नेह सूत्रों में बँध जाते हैं, किन्तु देवदास की भीरू प्रवृत्ति और उसके माता-पिता के मिथ्या कुलाभिमान के कारण दोनों का विवाह नहीं हो पाता।
दो तीन हजार रुपये मिलने की आशा में पार्वती के स्वार्थी पिता तेरह वर्षीय पार्वती को चालीस वर्षीय दुहाजू भुवन चौधरी के हाथ बेच देते हैं, जिसकी विवाहिता कन्या उम्र में पार्वती से बड़ी थी।
विवाहोपरान्त पार्वती अपने पति और परिवार की पूर्णनिष्ठा व समर्पण के साथ देखभाल करती है। निष्फल प्रेम के कारण नैराश्य में डूबा देवदास मदिरा सेवन आरम्भ करता है,जिस कारण उसका स्वास्थ्य बहुत अधिक गिर जाता है। कोलकाता में चन्द्रमुखी वेश्या से देवदास के घनिष्ठ संबंध स्थापित होते हैं।
देवदास के सम्पर्क में चन्द्रमुखी के अन्तर सत प्रवृत्तियाँ जाग्रत होती हैं। वह सदैव के लिए वेश्यावृत्ति का परित्याग कर अशथझूरी गाँव में रहकर समाजसेवा का व्रत लेती है। बीमारी के अन्तिम दिनों में देवदास पार्वती के ससुराल हाथीपोता पहुँचता है किन्तु देर रात होने के कारण उसके घर नहीं जाता। सवेरे तक उसके प्राण पखेरू उड़ जाते हैं। उसके अपरिचित शव को चाण्डाल जला देते हैं। देवदास के दुखद अन्त के बारे में सुनकर पार्वती बेहोश हो जाती है। देवदास में वंशगत भेदभाव एवं लड़की बेचने की कुप्रथा के साथ निष्फल प्रेम के करुण कहानी कही गयी है।
परिणीता
यह उपन्यास शरत चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा 20 वीं शताब्दी के शुरुआती भाग के कलकत्ता में स्थापित है। यह सामाजिक विरोध का एक उपन्यास है जो वर्ग और धर्म से संबंधित उस समय अवधि के मुद्दों की पड़ताल करता है।
कहानी ललिता नाम की एक गरीब तेरह वर्षीय अनाथ लड़की की है , जो अपने चाचा गुरूचरण के साथ रहती है। ललिता के चाचा की पाँच बेटियाँ हैं, और उनकी शादियों के लिए खर्च होने वाले पैसे की वजह से वो परेशान रहता है । वह अपने पड़ोसी नबिन रॉय से उसके साथ जमीन का एक भूखंड गिरवी रखकर कर्ज लेने को मजबूर है।
तत्कालीन भारतीय समाज में व्याप्त दहेज़ प्रथा का दंश कैसे एक परिवार के जीवन पर प्रभाव डालता है इसका बहुत ही मार्मिक वर्णन शरतचंद्र ने इस उपन्यास में किया है |
चरित्रहीन
नारी जीवन और नारी अधिकार को लेकर लिखी हुई ये उपन्यास शरत चन्द्र की सबसे श्रेष्ठ रचनाओं में से एक है | इस उपन्यास की वजह से शरत चन्द्र को सामाजिक आलोचना का भी सामना करना पड़ा था , तत्कालीन भारत में एक ऐसी विधवा महिला सावित्री की कहानी है जिसे उसके ससुराल वालों ने घर से निकाल दिया है |
सावित्री एक हॉस्टल में काम करना शुरू करती है और वहां उसे अपने मालिक से प्रेम हो जाता है , सावित्री को जीवन में समाज के नियमों की वजह से कैसा संघर्ष करना पड़ता है ये इस उपन्यास में दिखाया गया है |
अंग्रेजों द्वारा लाये गए पाश्चात्य विचारों के विरोध में रूढ़िवादी हिंदू समाज का चित्रण, उन्नीसवीं शताब्दी में कोलकाता के उपन्यास के आधार पर यथार्थवादी और भरोसेमंद दोनों है।
श्रीकांत
अपने गतिशील और ध्यान खींचने वाले चरित्रों के माध्यम से, शरतचंद्र उन्नीसवीं सदी के बंगाल के एक पूर्वाग्रह से ग्रस्त समाज को जीवंत करते हैं, जिसे मौलिक रूप से बदलने की आवश्यकता है। श्रीकांत ने आधुनिक भारतीय साहित्य में सामाजिक रूप से जागरूक लेखन के लिए मिसाल कायम की।
कहानी का नायक है श्रीकांत, जो कथावाचक भी है , एक लक्ष्यहीन ड्रिफ्टर, एक निष्क्रिय दर्शक है जो स्वयं से अधिक मजबूत व्यक्ति के समर्थन के बिना जीवित नहीं रह सकता है।
पथ के दावेदार
इस किताब के छपने पर एक हफ्ते के अन्दर इसकी ५००० से ज्यादा प्रतियाँ बिक गयी थीं , इसकी लोकप्रियता से घबरा कर ब्रिटिश सरकार ने इस किताब पर प्रतिबन्ध लगा दिया था | तत्कालीन भारत में स्वतंत्रता के लिए आतुर एक ऐसे नायक की कहानी जो ब्रिटिश खुफिया विभाग को भी चकमा देता है |
ऐसा कहा जाता है की नायक सब्यासची की जासूसी कला विशेष रूप से भेष बदलने की कला क्रांतिकारी सूर्य सेन से मिलती जुलती है | सब्यसाची जाति व्यवस्था में विश्वास नहीं करता है, और पुस्तक के अंत में “अनन्त (सनातन), प्राचीन, और पतनशील – धर्म, समाज, परंपरा” के विनाश की दुहाई देता है और इन्हें राष्ट्र और समाज दुश्मन बताता है |
Book Name: Path ke Davedar (Pather Dabi)
Language: Hindi
Author: Sharat Chandra Chattopaddhyay
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चन्द्रनाथ
ये कहानी एक भावुक युवक की है जिसका नाम है चन्द्रनाथ , चन्द्रनाथ ने भावनाओं के अधीन हो एक ऐसी लड़की सरयू से शादी की जिसकी माँ गरीब है लेकिन उसका अपराध यही है था कि उसकी माँ एक लम्पट नवयुवक के प्रेम में फंसकर भाग आई थी। इस लिए वह वेश्या थी और सरयू हुई वेश्या की लड़की |
Book Name:Chandranath (चन्द्रनाथ)
Language: Hindi
Author: Sharat Chandra Chattopaddhyay
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