प्रेमचंद के 6 श्रेष्ठ उपन्यास 6 Best Premchand Novels

We have prepared a list of 6 Best Premchand Novels ,Premchand novels are still very popular among hindi literature lovers around the world. Many novels of premchand are used in school syllabus in india.

प्रेमचंद की कहानियों में जितनी सरलता से भारत के ग्रामीण , सामाजिक और आर्थिक दशा का विवरण दिखता है उतना किसी अन्य हिंदी उपन्यासकारों की रचनाओं में नहीं दिखता |

प्रेमचंद के उपन्यास भारत की उन सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों का दर्पण  हैं जो राष्ट्रवादी आंदोलन के दौरान बनी रहीं। उन्होंने भारतीय समाज के वेश्यावृत्ति, सामंती व्यवस्था, गरीबी, जाति व्यवस्था और विधवा पुनर्विवाह जैसे मुद्दों पर कहानियां और उपन्यास लिखे हैं |

मुंशी प्रेमचंद (31 जुलाई 1880–8 अक्तूबर 1936) का जन्म वाराणसी से चार मील दूर लमही गाँव में हुआ था। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। प्रेमचंद ने तत्कालीन भारत में जैसी परिस्थतियाँ देखीं उसे अपनी कहानियों में उतार दिया , उनकी कहानियां आज भी भारत सहित विश्व में प्रसिद्द हैं और और पढ़ी जाती हैं |

प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यासों की श्रेष्ठ क्रम वाली सूची बनाना तो मुश्किल है फिर भी आपके लिए  Best Novels of Premchand  की सूची प्रस्तुत है |

शतरंज के खिलाड़ी

नवाब वाजिद अली शाह के समय पर आधारित ये प्रेमचंद की कालजयी रचना है , ये उस भारत की दशा को दर्शाता है जब समाज का उच्च और निम्न वर्ग भोग विलासिता भरे जीवन में व्यस्त था | ये कहानी है मीर और मिर्जा की , २ दोस्त जिन्हें शतरंज के खेल से बे पनाह प्यार है | शतरंज के खेल के आगे उन्हें किसी बात की चिंता नहीं होती , चाहे बेगम की फटकार हो या अंग्रेजी सेना के आने की सूचना |

एक दिन अचानक मीर साहब ने देखा कि अंग्रेजी फौज गोमती के किनारे-किनारे चली आ रही है। उन्होंने मिरज़ा से हड़बड़ी में यह बात बताई। मिरज़ा ने कहा – तुम अपनी चाल बचाओ। अंग्रेज आ रहे हैं आने दो। मीर ने कहा साथ में तोपखाना भी है। मिरज़ा साहब ने कहा- यह चकमा किसी और को देना। इस प्रकार पुनः दोनों खेल में गुम हो गए।

कुछ समय में नवाब वाजिद अली शाह कैद कर लिए गए। उसी रास्ते अंग्रेजी सेना विजयी-भाव से लौट रही थी। पूरा शहर बेशर्मी के साथ तमाशा देख रहा था। अवध का इतना बड़ा नवाब चुपचाप सर झुकाए चला जा रहा था। मीर और रौशन दोनों इस नवाब के जागीरदार थे।

नवाब की रक्षा में इन्हें अपनी जान की बाजी लगा देनी चाहिए। परंतु दुर्भाग्य कि जान की बाजी तो इन्होंने लगाई ज़रूर पर शतरंज की बाजी पर। थोड़ी ही देर बाद खेल की बाजी में ये दोनों मित्र उलझ पड़े। बात खानदान और रईसी तक आ पहुँची।

गाली-गलौज होने लगी। दोनों कटार और तलवार रखते थे। दोनों ने तलवारें निकालीं और एक दूसरे को दे मारीं। दोनों का अंत हो गया। काश! यह मौत नवाब वाजिदअली के पक्ष में और ब्रिटिश सेना के प्रतिपक्ष में हुई होती! लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

Buy on Amazon

गोदान

गोदान प्रेमचंद का हिंदी उपन्यास है जिसमें उनकी लेखन कला की अभूतपूर्व क्षमता दिखाई देती है । गोदान को प्रेमचंद द्वारा लिखती सारी कहानियों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है , इस कहानी में प्रेमचंद ने भारतीय किसान की मेहनत, गरीबी, संघर्ष , निराशा , दैनिक जीवन आदि का वर्णन बहुत ही सजीव रूप से किया है  ।

उसकी गर्दन जिस पैर के नीचे दबी है उसे सहलाता, क्लेश और वेदना को झुठलाता, ‘मरजाद’ की झूठी भावना पर गर्व करता, ऋणग्रस्तता के अभिशाप में पिसता, तिल तिल शूलों भरे पथ पर आगे बढ़ता, भारतीय समाज का मेरुदंड यह किसान कितना शिथिल और जर्जर हो चुका है, यह गोदान में प्रत्यक्ष देखने को मिलता है।

‘गोदान’ होरी की कहानी है, उस होरी की जो जीवन भर मेहनत करता है, अनेक कष्ट सहता है, केवल इसलिए कि उसकी मर्यादा की रक्षा हो सके और इसीलिए वह दूसरों को प्रसन्न रखने का प्रयास भी करता है, किंतु उसे इसका फल नहीं मिलता और अंत में मजबूर होना पड़ता है, फिर भी अपनी मर्यादा नहीं बचा पाता।

परिणामतः वह जप-तप के अपने जीवन को ही होम कर देता है। यह होरी की कहानी नहीं, उस काल के हर भारतीय किसान की आत्मकथा है। और इसके साथ जुड़ी है शहर की प्रासंगिक कहानी। ‘गोदान’ में उन्होंने ग्राम और शहर की दो कथाओं का इतना यथार्थ रूप और संतुलित मिश्रण प्रस्तुत किया है। दोनों की कथाओं का संगठन इतनी कुशलता से हुआ है कि उसमें प्रवाह आद्योपांत बना रहता है। प्रेमचंद की कलम की यही विशेषता है।

Buy on Amazon

निर्मला

इस उपन्यास की कहानी निर्मला नाम की एक १५ वर्षीय सुन्दर और सुशील लड़की की है , इस उपन्यास को भारतीय साहित्य में एक विशेष स्थान प्राप्त है क्योंकि ये रचना महिला-केन्द्रित है और तत्कालीन समाज में एक महिला की अन्तर्दशा , सामाजिक दुर्दशा , उत्पीड़न को जाहिर करता है |

ये कहानी एक लड़की के अनमेल विवाह और दहेज प्रथा की दुखान्त व मार्मिक कहानी है। उपन्यास का लक्ष्य अनमेल-विवाह तथा दहेज़ प्रथा के बुरे प्रभाव को अंकित करता है। निर्मला के माध्यम से प्रेमचंद ने भारत की मध्यवर्गीय युवतियों सामाजिक जीवन का अद्भुत चित्रण किया है। उपन्यास के अन्त में निर्मला की मृत्यृ इस कुत्सित सामाजिक प्रथा को मिटा डालने के लिए एक भारी चुनौती है। प्रेमचन्द ने भालचन्द और मोटेराम शास्त्री के प्रसंग द्वारा उपन्यास में हास्य की सृष्टि की है।

Buy on Amazon

गबन

भारत की महिलाओं के जीवन पर आधारित ये प्रेमचंद का दूसरा उपन्यास है , इस उपन्यास में एक पत्नी का उसके पति के जीवन में प्रभाव को दर्शाया गया है | ये कहानी भारतीय समाज का वो रूप दिखाती है जिसे पढ़ कर लगता है की इससे बेहतर यथार्थवादी उपन्यास नहीं हो सकता | प्रेमचंद की लेखन कला का जबरदस्त उदाहरण इस कहानी में दिखता है , कहानी में पत्नी का गहनों के प्रति लगाव है तो दूसरी तरफ उसके कम वेतन पाने वाले पति की दशा को दिखाया गया है |

‘ग़बन’ की नायिका, जालपा, एक चन्द्रहार पाने के लिए लालायित है। उसका पति कम वेतन वाला क्लर्क है यद्यपि वह अपनी पत्नी के सामने बहुत अमीर होने का अभिनय करता है। अपनी पत्नी को संतुष्ट करने के लिए वह अपने दफ्तर से ग़बन करता है और भागकर कलकत्ता चला जाता है जहां एक कुंजड़ा और उसकी पत्नी उसे शरण देते हैं। डकैती के एक जाली मामले में पुलिस उसे फंसाकर मुखबिर की भूमिका में प्रस्तुत करती है।

Buy on Amazon

प्रतिज्ञा

मुंशी प्रेमचंद ने इस उपन्यास में भारत में विधवाओं के सामाजिक जीवन के बारे में लिखा है | यह उपन्यास भारतीय समाज में विषम परिस्थितियों में घुट घुट कर जी रही नारी की विवशताओं और नियति का सजीव चित्रण है।

प्रतिज्ञा का नायक विधुर अमृतराय किसी विधवा से शादी करना चाहता है ताकि किसी नवयौवना का जीवन नष्ट न हो। नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। समाज के भूखे भेड़िये उसके संचय को तोड़ना चाहते हैं। उपन्यास में प्रेमचंद ने विधवा समस्या को नए रूप में प्रस्तुत किया है एवं विकल्प भी सुझाया है।

इस उपन्यास में प्रेमचन्द ने तत्कालीन भारतीय समाज में व्याप्त विधवा महिलाओं की समस्याओं  का चित्रण किया। पूर्णा पात्र के द्वारा समाज में तिरस्कृत और पीड़ित विधवाओं की मजबूरियों का मर्मस्पर्शी चित्रण किया गया। सुमित्रा और प्रेमा के पात्र आदर्श नारी – पात्र हैं तो कमलाप्रसाद अबलाओं पर अत्याचार करनेवाले दुष्टों का प्रतिनिधि है|

Buy on Amazon

 

कर्मभूमि

प्रेमचन्द की रचना कौशल इस तथ्य में है कि उन्होंने इन समस्याओं का चित्रण सत्यानुभूति से प्रेरित होकर किया है कि उपन्यास पढ़ते समय गांधी जी का  राष्ट्रीय सत्याग्रह आन्दोलन पाठक की आँखों के समक्ष सजीव हो जाता हैं।

प्रेमचन्द हर पात्र और घटना की डोर अपने हाथ में रखते हैं इसलिए कहीं शिथिलता नहीं आने देते। आदर्शोन्मुख यथार्थवाद से ओतप्रोत कर्मभूमि उपन्यास प्रेमचन्द की एक प्रौढ़ रचना है जो हर तरह से प्रभावशाली बन पड़ी है।

ये उपन्यास तत्कालीन भारतीय समाज की बुराइयों, अंग्रेजों का दमन चक्र, अछूत की मंदिर में प्रवेश की समस्या , समाज में व्याप्त धार्मिक पाखण्ड आदि को दर्शाता है | इन सब बातों को जब प्रेमचंद अपनी लेखनी से लिखते हैं तो पढने वाला बरबस घटनाओं को सजीव देखने लगता है |

admin

View Comments

  • श्री प्रेमचंद के बारे में हम जितना भी लिखे कम है , हमारी स्याही खतम हो जाएगी लेकिन प्रेमचंदजी द्वारा हिन्दी साहित्य के अतुल्य और अमूल्य योगदान को लिखने में हम कभी सक्षम नहीं हो पाएंगे ।

Recent Posts